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Thursday, January 4, 2024

बर्बादी की दुष्प्रवृत्ति

 समय की बर्बादी को यदि लोग धन की हानि से बढ़कर मानने लगें, तो क्या हमारा जो बहुमूल्य समय यों ही आलस में बीतता रहता है क्या कुछ उत्पादन करने या सीखने में न लगे? 

विदेशों में आजीविका कमाने के बाद बचे हुए समय में से कुछ घंटे हर कोई व्यक्ति अध्ययन के लिए लगाता है और इसी क्रम के आधार पर जीवन के अन्त तक वह साधारण नागरिक भी उतना ज्ञान संचय कर लेता है जितना कि हम में से उद्भट विद्वान समझे जाने वाले लोगों को भी नहीं होता। जापान में बचे हुए समय को लोग गृह−उद्योगों में लगाते हैं और फालतू समय में अपनी कमाई बढ़ाने के अतिरिक्त विदेशों में भेजने के लिए बहुत सस्ता माल तैयार कर देते हैं जिससे उनकी राष्ट्रीय भी बढ़ती है। 



एक ओर हम हैं जो स्कूल छोड़ने के बाद अध्ययन को तिलाञ्जलि ही दे देते हैं और नियत व्यवसाय के अतिरिक्त कोई दूसरी सहायक आजीविका की बात भी नहीं सोचते। क्या स्त्री क्या पुरुष सभी इस बात में अपना गौरव समझते हैं कि उन्हें शारीरिक श्रम न करना पड़े।


समय की बर्बादी शारीरिक नहीं मानसिक दुर्गुण है। मन में जब तक इसके लिए रुचि, आकाँक्षा एवं उत्साह पैदा न होगा, जब तक इस हानि को मन हानि ही नहीं मानेगा तब तक सुधार का प्रश्न ही कहाँ पैदा होगा? 
टाइम टेबल बनाकर—कार्यक्रम निर्धारित कर, कितने लोग अपनी दिनचर्या चलाते हैं? फुरसत न मिलने की बहानेबाजी हर कोई करता है पर ध्यानपूर्वक देखा जाय तो उसका बहुत सा समय, आलस, प्रमाद, लापरवाही और मंदगति से काम करने में नष्ट होता है। 

समय के अपव्यय को रोककर और उसे नियमित दिनचर्या की सुदृढ़ श्रृंखला में आबद्ध कर हम अपने आज के सामान्य जीवन को असामान्य जीवन में बदल सकते हैं। पर यह होगा तभी न जब मन का अवसाद टूटे? जब लक्षहीनता, अनुत्साह एवं अव्यवस्था से पीछा छूटे?

✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 अखण्ड ज्योति जनवरी 1962 पृष्ठ 23

Wednesday, January 3, 2024

धैर्य और सहनशीलता

कोई व्यक्ति धैर्यवान है, सहनशील है, तो अधिकांश लोग उसे मूर्ख, कमजोर या डरपोक मानते हैं। यह उन लोगों की भूल है। धैर्य और सहनशीलता, ये दो बहुत ही उत्तम गुण अथवा शक्तियां हैं, जो किसी किसी में होती है, सब में नहीं होती। 

ये कमजोरियां नहीं, बल्कि शक्तियां हैं। कमजोरी तो किसी में भी हो सकती है, पर शक्ति सबमें नहीं होती। ये दोनों चीजें भी सब में नहीं होती, इससे पता चलता है कि ये कमजोरियां नहीं, बल्कि शक्तियां हैं।




अनेक बार कार्यों को करने में बहुत धैर्य रखना पड़ता है, जल्दबाजी करने से काम बिगड़ जाता है। जब लोगों में धैर्य नहीं होता, और वे जल्दबाजी करते हैं, तब उनके काम भी बिगड़ते हैं , और आपस में झगड़े भी होते हैं।

 इसी प्रकार से कभी कभी कोई व्यक्ति, किसी को डांट देता है; कभी-कभी दोष होने पर डांट लगती है और कभी-कभी बिना दोष होते हुए भी डांट खानी पड़ जाती है।


जब बिना दोष के डांट खानी पड़ती है, उस समय सहनशक्ति का पता चलता है। तब बहुत से लोग इस परीक्षा में असफल हो जाते हैं , और तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे लोग झगड़ने लगते हैं। इसलिए सहनशीलता एक शक्ति है। 

धैर्य भी एक शक्ति है। ये दोनों गुण या शक्तियाँ बड़ी दुर्लभ हैं। इन गुणों या शक्तियों को अवश्य धारण करना चाहिए, तथा अपने जीवन को सुंदर सफल और आनंदित बनाना चाहिए।

युवा चेतना दिवस के रूप में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती I

  अखिल विश्व गायत्री परिवार   के तत्वाधान में जीवनदीप महाविद्यालय में  हर्षोल्लास के साथ  विवेकानंद जयंती मनाई गयी  । विवेकानंद जयंती कार्यक...